सिंहपानीय नगर से सिहोनियाँ गाँव तक -एक वैभव और विरासत खोते नगर की तथा कथा

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From Singhpaniya Nagar to Sihoniya village


From Singhpaniya Nagar to Sihoniya village

   अद्भुत सिंहपानीयनगरे येन कारित ।
    कीर्तिस्तम्भ इवा भाति प्रासाद पार्वतीपतेह।। 



     खाण्डेराव के गोपांचल आख्यान में यह उल्लेख इस नगर और कीर्ति स्तम्भ के गौरव का अहसास कराता है पर अब वो दिन नही रहे ।
  मुरैना का यह सिहोनियाँ गाँव अब अपनी समृद्ध विरासत को भूल कर आम गांवो की तरह अपनी ज़िन्दगी जी रहा है। कभी यह अद्भुत नगर कहा जाता था। 
अब यहाँ शायद ही कोई जनता हो कि 1000 वर्ष पूर्व  यह विशाल नगर था । यह नगर 125 वर्ष से अधिक समय तक कच्छपघात राजवंश की राजधानी रहा है।
      आसान नदी के तट पर स्थित  मुरैना जिले के वर्तमान गाँव कुतवार और सिहोनियाँ कभी एक ही महानगर के दो भाग होकर कान्तिपुरी नागवंश की राजधानी थी। 
  ज्ञात होता है कि नदी के प्रकोप से पुरानी कान्तिपुरी अर्थात  महाभारत कालीन कुंतलपुर वर्तमान ग्राम कुतवार उजड़ता गया हो और वर्तमान सिहोनियाँ की तरफ वस्ती बढ़ती गई हो।
         कुतवार गाँव मे एक पहाड़ी टीले पर उत्खनन के दौरान प्रागेतिहासिक अवशेष तथा बड़ी संख्या में नाग कालीन सिक्के प्राप्त हुए थे जो इस क्षेत्र प्राचीनता और सांस्कृतिक समृद्धि को प्रमाणित करते है।
       आज का सिहोनियाँ गाँव  बारह कोस के घेरे में बसा था। इसका पूरबी द्वार यहाँ से दो मील ग्राम बिलोनी पर , पश्चिमी द्वार बाबड़ी पूरा पर उत्तरी द्वार गाँव पुरावस तथा दक्षिणी द्वार ग्राम बरहा में था।
           कच्छपघात वंश की जिस शाखा गोपाचल पर्वत अर्थात ग्वालियर किले पर शासन किया उसने अपनी शक्ति का संचय यही किया था और सिंहपानीय नगर (वर्तमान सिंहोनियाँ) को ही अपनी राजधानी बनाया था।
         इस वंश का संस्थापक लक्ष्मण था जिसने सन 950 ई में इस वंश की स्थापना की। सिहोनियाँ की जैन मूर्ति सिंहपानिय नगर में प्रथम शासक वज्रदामा सन 977 ई का उल्लेख मिलता है।
      कहा जाता है कि इन्होंने सन 981 ई में प्रतिहारों की ओर से नियुक्त प्रशासक कच्छपो को परास्त कर कच्छपघात का विरुद धारण किया। वज्रदामा ने गोपाचल दुर्ग एवं कन्नौज की विजय पर शुद्ध स्वर्ण से तुल कर तुलादान किया था। वज्रदामा के बाद सिंहपानिय के सिंहासन पर सन 1000 ई में उसका पुत्र मंगलराज कच्छपघात बैठा।  
             कहा जाता है जिस प्रकार सूर्य की सहस्रशः किरणों  अंधकार को भगा देती है उसी प्रकार राजा मंगलराज शस्त्रुओ को भगा देते थे । बयाना के ऊषा मंदिर के उल्लेखानुसार मंगलराज का राज्य भदानक के श्रीपथ नगर अर्थात बयाना तक था।
           मंगलराज के बाद गोपाचल के कच्छपघात का राजा उनका पुत्र कीर्तिराज सिंहपानिय नगर की गद्दी पर बैठ।वह भी अपने पिता की तरह पराक्रमी था।
            कीर्तिराज ने मालव भूपति को परास्त किया। उसी के शासनकाल में सन 1021 - 1022 ई में मोहम्मद गज़नवी ने ग्वालियर दुर्ग को घेर लिया पर सफलता न मिलने पर चार दिन बाद ही घेरा उठाना पड़ा।
       अपनी विजयो को अपने आराध्य के चरणों मे अर्पित करने के लिए अपनी राजधानी सिंहपानिय नगर में  पार्वती पति शिव का विशाल मंदिर का निर्माण कराया।
इस विशाल मठ को पहिले इल्तुतमिश ने और उसके बाद आज़म हुमायूँ ने तोड़ा। वर्तमान में इसे ककनमठ कहते है जो दो बार तोड़े जाने बाद भी अपने निर्माताओं के आस्था और कला प्रेम की कहानी कह रहा है।
       कीर्तिराज के बाद उनका पुत्र मूलदेव और इसके बाद मूलदेव एक पुत्र देवपाल कच्छपघात वंश का शासक बना तथा दूसरा पुत्र सूर्यपाल सिंहपानिय नगर का प्रशासक बनाया गया।
       देवपाल ने अपना निवास गोपाचल दुर्ग पर स्थापित किया।इसके बाद इसी वंश के राजा पदमपाल और महिपाल हुए जिनके शासनकाल में कच्छपघात वंश की राजधानी सिंहपानिय नगर से गोपाचल दुर्ग स्थापित कर दी गईं। 
       सिंहपानिय नगर के प्रशासक  सूर्यपाल के सम्बन्ध में खडगराय के गोपाचल आख्यान में उल्लेख है। बाद में मेजर जनरल कनिंघम ने भी उसके सम्बन्ध में सिंहोनियाँ में प्राप्त अनुश्रुतियों का संकलन किया था। 
    एक यह कहावत प्रचलित  है कि सूर्यपाल प्रतापी नरेश था उसको अंगविकार हो गया था तथा उसके कोई पुत्र नही था। उसे अम्बिका देवी ने दर्शन दिये और कहा कि तू मेरा मंदिर का निर्माण करा तुझे पुत्र प्राप्त होगा ।  
  सूर्यपाल ने सिहोनियाँ में अम्बिका देवी का मंदिर बनबाया और उसके सामने दो कुण्ड भी बनाबाये । उसे पुत्र की प्राप्ति हुई । यह पुत्र ही महिपाल नाम से कच्छपघात वंश का राजा बना। 
 ग्वालियर किले पर पद्मनाथ मंदिर का  निर्माण  महिपाल के द्वारा ही पूर्ण कराया गया ।  विधर्मी आक्रांताओ ने इसे कई बार लूटा और तोड़ा वर्तमान में यह सासबहू के मंदिर के नाम से जाना जाता है।
         कच्छपघात वंश की राजधानी ग्वालियर दुर्ग पर बन जाने के बाद सिहोनियाँ का महत्व कम होता गया। कालान्तर में अपनी स्थिति को निरन्तर खोता हुआ आज यह गाँव मात्र रह गया है।
From Singhpaniya Nagar to Sihoniya village

आलेख – रूपेश उपाध्याय
अपर कलेक्टर