Ramniwas had set out to become a judge but got involved in politics by contesting the Mandi elections
- लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हुए थे रावत , मीणा वोटों पर बड़ी पकड़
ग्वालियर। ग्वालियर चम्बल अंचल के प्रतिष्ठित नेता राम निवास रावत ने आज सोमवार को मध्यप्रदेश के डॉ मोहन यादव के मन्त्रिमण्डल में कैबिनेट मंत्री की शपथ ली। प्रदेश में विजयपुर विधानसभा सीट से छह बार काँग्रेस के टिकिट पर चुनाव जीत चुके रावत ने अपनी ताज़ा सियासी पारी भाजपा के साथ शुरू की है । उच्च शिक्षित रावत की सियासत में आने की कथा भी बड़ी रोचक है । उनका चयन सिविल जज की लिखित परीक्षा में हो गया था लेकिन अचानक उनके जीवन मे बड़ा बदलाव आया और बड़ी रिस्क लेकर उन्होंने सियासत में कदम रख दिया वह भी मंडी संचालक का चुनाव लड़कर।
श्योपुर जिले की विजयपुर विधानसभा सीट में आने वाले ग्राम सुनवई में जन्मे रामनिवास के पिता सरकारी कर्मचारी थे और समाजसेवी भी थे । उनको लोग इलाके में आदर सम्मान देते थे। राम निवास उनके बड़े बेटे थे । वे शुरू से ही मेधावी छात्र थे । उस समय विजयपुर मुरैना जिले का दूरस्थ हिस्सा था। जंगल और पहाड़ों के बीच स्थित श्योपुर और विजयपुर में न आवागमन के साधन थे और न ही शिक्षा की कोई व्यवस्था । इसीलिए उनके पिता ने हायर सेकेंडरी पास होते ही उन्हें उच्च शिक्षा लेने शिवपुरी भेज दिया। यही से उन्होंने पहले बीएससी की फिर इतिहास से एमए किया और उसमें अब्बल नम्बर लाकर गोल्ड मेडल हासिल कर लिया। इस दौरान वे छात्र राजनीति में भी सक्रिय रहे। अचानक उनको सिविल जज बनने का ख्याल आया तो उन्होंने ग्वालियर आकर एलएलबी में एडमिशन ले लिया।
एलएलबी करने के बाद उन्होंने एलएलएम में प्रवेश लिया. उसी समय एमपीएससी में सिविल जज की पोस्ट निकली तो रावत उसकी तैयारी में जुट गए। उन्होंने इसकी लिखित परीक्षा भी पास कर ली लेकिन अचानक उनके दोस्तों ने उन्हें राजनीति में जाने की सलाह दी। वे सियासत से अनभिज्ञ थे लेकिन फिर इस दिशा में मुड़ गए और अपने पिता को अपनी इच्छा बताई । पिता बहुत नाराज हुए लेकिन बाद में वे मान गए । उस समय विजयपुर कृषि उपज मंडी समिति के चुनाव चल रहे थे । उन्होंने वहां संचालक पद के लिए नामांकन भरा । उनके पिता के प्रभाव और एक उच्च शिक्षित व्यक्ति के मैदान में होने से युवा उनके समर्थन में आ गए और वे निर्विरोध डायरेक्टर और फिर निर्विरोध ही अध्यक्ष चुन लिए गए।
1990 में सिंधिया ने उन्हें विजयपुर सीट से काँग्रेस का टिकिट दे दिया । रावत सियासत में नए थे लिहाजा तत्कालीन मठाधीशों ने उनका जमकर विरोध किया । लेकिन रावत ने वहां युवाओं को इकट्ठा किया और अपना प्रचार अभियान शुरू किया । उस समय एमपी में कांग्रेस की हालत खराब हो गए। अंचल की 34 में से कांग्रेस सिर्फ 3 सीट जीत सकी । उसमें भी रावत ने रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की । तब से अब तक वे पांच बार विजयपुर से विधायक रह चुके हैं। दिग्विजय सरकार में मंत्री भी रहे।