शिवपुरी। मध्यप्रदेश शासन ने एक साल पहले आदेश जारी कर राज्य सीमाओं पर संचालित सभी आरटीओ बेरियरों को बंद करने के निर्देश दिए थे। लेकिन शिवपुरी जिले की सरहद पर स्थित खरई बेरियर पर यह आदेश सिर्फ कागजों में बंद हुआ है जमीनी हकीकत में सब कुछ जस का तस है।
हर सुबह आरटीओ की प्लेट लगी बोलेरो और एक स्कॉर्पियो फोरलेन हाईवे पर राजस्थान सीमा से सटे खरई बेरियर के पास दोनों दिशाओं में खड़ी नजर आती हैं। इन वाहनों से जुड़े परिवहन विभाग के कर्मचारी और उनके निजी गुर्गे दिनभर गुजरने वाले माल वाहक वाहनों को रोककर अवैध वसूली में जुटे रहते हैं। शासन ने साफ निर्देश दिए थे कि अब स्थायी चौकियों की जगह मोबाइल यूनिट द्वारा पेट्रोलिंग करते हुए वाहनों की जांच की जाएगी। मगर हकीकत यह है कि खरई बॉर्डर पर अधिकारी पेट्रोलिंग की जगह एक ही स्थान पर दैनिक वसूली ड्यूटी निभा रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि यहां आरटीओ की प्लेट का दुरुपयोग चरम पर है। निजी वाहनों पर सरकारी प्लेट लगाकर विभागीय कर्मचारियों के इशारे पर गुर्गे वाहनों से वसूली कर रहे हैं। कई बार चालक वैध दस्तावेज दिखाने के बावजूद घंटों सड़क किनारे खड़े रखे जाते हैं। अब पेट्रोलिंग नहीं, रोजाना की लूट का लाइसेंस चल रहा है कि यही स्थिति बताती है कि शासन के आदेशों की यहां खुलकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, यह संगठित वसूली तंत्र महीनों से सक्रिय है। राजस्थान और मध्यप्रदेश सीमा के इस बेरियर पर कोई जांच-पड़ताल नहीं होती, बल्कि तय रकम वसूलने के बाद वाहनों को हरी झंडी दे दी जाती है। इतना ही नहीं, परिवहन विभाग की वीडियो कोच बसों से भी सेटिंग तय है। ये बसें खरई बेरियर से निकलकर राजस्थान, गुजरात और नेपाल की सीमा तक ओवरलोड यात्रियों के साथ जा रही हैं, पर इन्हें रोकने की हिम्मत किसी अधिकारी की नहीं। वहीं, अन्य राज्यों से आने वाली बसों पर कागजी जांच के नाम पर जमकर उत्पीडऩ किया जाता है। स्थानीय जनता सवाल पूछ रही है कि अगर बेरियर बंद हैं, तो फिर रोज यहां आरटीओ की गाडिय़ां क्यों खड़ी रहती हैं? अगर जांच मोबाइल यूनिट को करनी है, तो पेट्रोलिंग कहां हो रही है? और सबसे बड़ा सवाल क्या परिवहन विभाग को वसूली का खुला लाइसेंस मिल चुका है? शासन के आदेश और धरातल की स्थिति के बीच का यह विरोधाभास दिखाता है कि बंद सिर्फ बेरियर नहीं हुए, ईमानदारी भी फाइलों में बंद हो गई है।
































