ग्राउंड रिपोर्ट: खजुराहो में इंडिया गठबंधन कमजोर, भाजपा को रिकार्ड के लिए मतदान की चिंता

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Ground report: India alliance weak in Khajuraho, BJP worried about record voting

दिनेश निगम ‘त्यागी’

भाजपा का गढ़ बन चुकी बुंदेलखंड अंचल की खजुराहो लोकसभा का चुनावी माहौल एकतरफा है। वजह है विपक्ष के दमदार प्रत्याशी का मैदान में न होना। भाजपा की ओर से यहां एक बार फिर पार्टी के सांसद और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा मैदान में हैं। कांग्रेस ने यह सीट समझौते के तहत गठबंधन की सहयोगी समाजवादी पार्टी को दी थी। सपा ने पहले मनोज यादव और इसके बाद उनके स्थान पर मीरा यादव को प्रत्याशी घोषित किया था। लेकिन मीरा यादव का नामांकन ही निरस्त हो गया। इसे लेकर तरह तरह की अटकलें हैं। बाद में लंबी जद्दोजहद के बाद कांग्रेस और सपा ने फारवर्ड ब्लाक के प्रत्याशी पूर्व आईएएस आरबी प्रजापति को समर्थन दे दिया। प्रजापति पहले भी मैदान से बाहर थे, अब भी बाहर हैं। हालांकि उनकी कोशिश पिछड़ा वर्ग को लामबंद करने की है। वीडी के सामने चुनौती रिकार्ड अंतर से जीत दर्ज करने की है। लेकिन पहले चरण में हुआ कम मतदान उनकी चिंता बढ़ा रहा है।

खजुराहो लोकसभा सीट पर सपा की नजर हाेने की वजह थी। यहां हर चुनाव में पार्टी को 40 हजार से लेकर लगभग सवा लाख तक वोट मिलते रहे हैं। यह क्षेत्र उत्तरप्रदेश की सीमा से सटा भी है। इसलिए सपा ने सीट मांगी और कांग्रेस ने गठबंधन धर्म का पालन करते हुए सौंप दी। पर सपा यहां चुनाव ही नहीं लड़ सकी। उसकी प्रत्याशी पूर्व विधायक मीरा यादव का नामांकन निरस्त हो गया। अटकलें हैं कि जानबूझ कर नामांकन निरस्त कराया गया, क्योंकि मीरा यादव चुनाव ही नहीं लड़ना चाहती थीं। कांग्रेस और सपा ने मिलकर फारवर्ड ब्लाक के प्रत्याशी आरबी प्रजापति को समर्थन दे दिया है लेकिन वे मुकाबले से बाहर दिख रहे हैं। प्रजापति को जब समर्थन की घोषणा की गई थी तब कहा गया था कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और सपा प्रमुख अखिलेश यादव द्वारा प्रजापति के समर्थन में रोड शो किया जाएगा लेकिन अब तक इनका कोई कार्यक्रम नहीं आया, जबकि यहां 3 दिन बाद प्रचार बंद हो जाएगा। खजुराहो सीट के लिए दूसरे चरण में 26 अप्रैल को मतदान होना है।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में खजुराहो लोकसभा सीट से 4 लाख 92 हजार वोटों के अंतर से तब बड़ी जीत दर्ज की थी जब वे क्षेत्र के लिए बिल्कुल नए थे और उनके सामने कांग्रेस के तत्कालीन विधायक विक्रम सिंह नातीराजा की पत्नी कविता राजे सिंह मैदान में थीं। वीडी तब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी नहीं थे। लेकिन अब हालात बिल्कुल अलग हैं। कांग्रेस ने समझौते में सीट सपा को दी थी और सपा भी मैदान में नहीं है। कांग्रेस-सपा ने आरबी प्रजापति को गठबंधन का प्रत्याशी घोषित तो कर दिया है लेकिन वे चुनाव लड़ते ही नजर नहीं आ रहे। अब वीडी शर्मा के सामने रिकार्ड मतों से जीत का अवसर है। इसके लिए वे दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। मतदाताओं की उदासीनता उनकी इस मंशा पर पानी न फेर दे, इसकी चिंता उन्हें सता रही है। इसलिए वे बूथ स्तर पर ज्यादा मतदान कराने के अभियान पर ताकत झाेंक रहे हैं। प्रदेश अध्यक्ष के नाते वीडी को प्रदेश के अन्य क्षेत्रों पर भी ध्यान देना पड़ रहा है। बावजूद इसके वे हर रोज आधा-एक दर्जन गांवों तक पहुंचने अथवा संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं।

खजुराहो लाेकसभा सीट से चूंकि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ही मैदान में हैं इसलिए यहां विकास और राष्ट्रीय मुद्दों पर चुनाव लड़ा जा रहा है। प्रदेश अध्यक्ष, सांसद होने और केंद्र-राज्य में भाजपा की सरकार होने के कारण वीडी ने खजुराहो संसदीय क्षेत्र में काफी काम कराए हैं। इसलिए विकास भाजपा का मुद्दा है। इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता, अयोध्या में राम मंदिर भाजपा केा लाभ पहुंचाते दिख रहे हैं। भाजपा अपनी सरकारों के काम गिना रही है और संकल्प पत्र में दी गई गारंटियां बता कर वोट मांग रही है। दूसरी तरफ फारवर्ड ब्लाक के प्रजापति केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार की नाकामियां गिना रहे हैं। वे आईएएस रहे हैं। इसलिए मतदाताओं के बीच अपने विजन के साथ पहुंच रहे हैं। विजन पिछड़े वर्ग को ऊपर लाने से संबंधित है। प्रजापति के साथ कोई संगठन नहीं है। सपा और कांग्रेस के कार्यकर्ता भी काम करते नहीं दिख रहे। इसलिए वे अपनी बात मतदाताओं तक पहुंचा नहीं पा रहे हैं।

मतदान अच्छा हुआ तो बन सकता रिकार्ड

वीडी प्रदेश अध्यक्ष के साथ सांसद थे इसलिए उन्होंने खजुराहो क्षेत्र पर हमेशा ध्यान केंद्रित रखा। वे लगातार क्षेत्र का दौरा करते रहे। उनकी सक्रियता का ही नतीजा है कि खजुराहो लोकसभा क्षेत्र की एक भी विधानसभा सीट कांग्रेस नहीं जीत सकी। सभी 8 सीटों पर भाजपा का कब्जा है। यह स्थिति तब है जब कांग्रेस पूरी दमखम के साथ विधानसभा चुनाव लड़ी थी। जबकि पिछली बार छतरपुर और पन्ना में कांग्रेस के एक-एक विधायक थे। इन कारणों से वीडी के ज्यादा अंतर से जीतने के हालात पहले से ही थे। पहले सीट सपा के खाते में जाने और इसके बाद सपा प्रत्याशी का नामांकन निरस्त हो जाने के बाद पूरा चुनाव वीडी शर्मा के पक्ष में आ गया। विश्लेषक मानते हैं कि यदि चुनाव व्यवस्थित लड़ा गया, मतदान पर फोकस बना लिया और अच्छा मतदान हुआ तो इस बार जीत के मामले में वीडी देश के अंदर अपना रिकार्ड बना सकते हैं।

खजुराहो बुंदेलखंड में है लेकिन इस संसदीय सीट का भौगोलिक क्षेत्र महकौशल तक है। इसके तहत तीन जिलों की आठ विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें छतरपुर जिले की दो चंदला, राजनगर, पन्ना और कटनी जिले की तीन-तीन क्रमश: पवई, गुनौर, पन्ना और विजयराघवगढ़, मुडवारा, बहोरीबंद विधानसभा सीटें शामिल हैं। कटनी महाकौशल का हिस्सा है जबकि छतरपुर और पन्ना बुंदेलखंड का। सभी विधानसभा सीटों में भाजपा का कब्जा है। लोकसभा के चुनाव में इसका लाभ वीडी शर्मा को मिलना तय है। वैसे भी 2019 के चुनाव के रिकार्ड में भाजपा के वीडी की खजुराहो से जीत चाैथे नंबर पर दर्ज है। जीत का रिकार्ड हाेशंगाबाद से भाजपा के राव उदय प्रताप सिंह ने बनाया था। उन्होंने अपने निटकतम प्रतिद्वंद्वी को 5 लाख 53 हजार से ज्यादा मतों के अंतर से हराया था। दूसरे नंबर पर थे इंदौर से भाजपा के शंकर लालवानी। उन्होंने 5 लाख 47 हजार से भी ज्यादा वोटों के अंतर से अपने प्रतिद्वंद्वी को हराया था। तीसरे प्रत्याशी विदिशा के रमाकांत भार्गव की जीत का अंतर 5 लाख 3 हजार से ज्यादा था। चौथी बड़ी जीत वीडी शर्मा ने खजुराहो से दर्ज की थी।

खजुराहो लोकसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा तादाद पिछड़े और दलित मतदाताओं की है। दलित मतदाताओं का बड़ा हिस्सा भाजपा के पक्ष में जाने लगा है जबकि काफी हिस्सा कांग्रेस के पक्ष में जाता है। कांग्रेस मैदान में नहीं है ऐसे में यह मतदाता क्या करेगा, यह देखने लायक होगा। पिछड़े वर्गों में पटेल, यादव, कुशवाहा, लोधी, प्रजापति समाज ज्यादा हैं। वीडी शर्मा के मुकाबले गठबंधन के प्रत्याशी आरबी प्रजापति हैं। इसलिए प्रजापति सहित कुछ पिछड़ेे समाज उनके पक्ष में वोट कर सकते हैं। प्रजापति की कोशिश भी पिछड़ा वर्ग को अपने पक्ष में लामबंद करने की है। इसमें वे कितना सफल होते हैं, नतीजा बताएगा। सपा प्रत्याशी होता तो यादव मतदाता उसके पक्ष में जा सकते थे। अब वे भाजपा के पक्ष में दिखाई पड़ते हैं। क्षेत्र में बड़ी तादाद सामान्य वर्ग के मतदाताओं की भी है। ये भी अधिकांश भाजपा के पक्ष में हैं। बहरहाल राजनीतिक हालात ऐसे हैं कि इस बार वीडी जीत का रिकार्ड अपने नाम दर्ज करा सकते हैं।