मप्र फार्मेसी काउंसिल पर सिंधिया समर्थकों का कब्जा! न्याय को भटकते आईएएस और आईपीएस! चर्चा में कांग्रेस नेता का महलनुमा बंगला! पूर्व सांसद की चुप्पी से भाजपा नेताओं की धड़कनें बढ़ी! रिटायर अफसर ने 35 करोड़ क्रिप्टो करेंसी में लगाये? वरिष्ठ पत्रकार रवीन्द्र जैन का कॉलम सुनी सुनाई

0
223

*मप्र फार्मेसी काउंसिल पर सिंधिया समर्थकों का कब्जा!*

चर्चा है कि मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भरोसे में लिए बिना सिंधिया समर्थक मंत्री प्रभुराम चौधरी ने मप्र फार्मेसी काउंसिल पर कब्जा कर लिया है। इस कब्जे के लिए जिन पांच अशासकीय सदस्यों की नियुक्ति की गई उनमें तीन चौधरी समर्थक हैं। एक सदस्य इंदौर से मंत्री तुलसीराम सिलावट समर्थक और एक सदस्य ग्वालियर से मंत्री प्रधुम्न सिंह तोमर के समर्थक को मनोनीत किया गया। इन नियुक्ति के बाद फार्मेसी काउंसिल के चुनाव कराये गये और प्रभुराम चौधरी समर्थक को अध्यक्ष बना दिया गया है। यह फार्मेसी काउंसिल ही पूरे प्रदेश में मेडीकल स्टोर के संचालन के लिए लायसेंस देने और इसकी जांच के लिए अधिकृत है। बताया जाता है कि फार्मेसी काउंसिल के पास करोड़ों का बजट है। महकमे में चर्चा है कि फार्मेसी काउंसिल पर स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी का कब्जा कराने में प्रदेश के स्वास्थ्य आयुक्त सुदाम खाडे का साथ मिल गया था। चूंकि निर्वाचन हुआ है इसलिए मप्र में यदि सरकार बदली भी तो भी काउंसिल पर कब्जा सिंधिया समर्थकों का ही रहेगा।

 

*न्याय को भटकते आईएएस और आईपीएस!*

यह खबर चौंकाने वाली है, लेकिन पूरी तरह सही है। राजधानी भोपाल में एक मौजूदा आईएएस और रिटायर वरिष्ठ आईपीएस शासन प्रशासन से न्याय के लिये भटक रहे हैं, लेकिन राजनीतिक प्रभाव के कारण इनकी सुनवाई नहीं हो रही है। मंत्रालय में पदस्थ आईएएस वीरेन्द्र सिंह ने भोपाल के कोलार रोड इलाके में अपने परिजनों के नाम बैंक ऑफ बडोदा से नीलामी में एक मकान व भूमि खरीदी है। लेकिन मप्र के एक मंत्री उन्हें कब्जा नहीं लेने दे रहे हैं। आईएएस का परिवार कब्जे के लिए भटक रहा है। आईएएस ने स्वयं भोपाल पुलिस कमिश्नर को पत्र लिखकर न्याय दिलाने और कोलार थाना प्रभारी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। दूसरा मामला भोपाल के शाहपुरा का है। यहां भी एक प्रभावशाली व्यक्ति ने रिटायर वरिष्ठ आईपीएस आईपी कुलश्रेष्ठ के घर के पास 3000 हजार वर्गफीट के प्लाॅट पर 7000 वर्गफीट का अस्पताल नियम विरुद्ध तरीके से बना लिया है। कुलश्रेष्ठ सहित आसपास के लोग इसकी शिकायतें करके थक गये हैं। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। अब वे हाईकोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं।

 

*चर्चा में कांग्रेस नेता का महलनुमा बंगला!*

मप्र कांग्रेस के एक पदाधिकारी का रायसेन जिले में बन रहा महलनुमा बंगला इस समय चर्चा का विषय बना हुआ है। यह नेताजी रहने वाले महाराष्ट्र के हैं। विधानसभा चुनाव बालाघाट जिले से लड़कर बुरी तरह हार चुके हैं। फिलहाल भोपाल में रहते हैं और महलनुमा बंगला रायसेन जिले बरेली के पास बना रहे हैं। नेताजी ने अपने एक निकट रिश्तेदार के जरिये मप्र भाजपा की राजनीति में कदम रखा था और पिछले आम चुनाव में बालाघाट जिले की विधानसभा सीट से भाजपा से टिकट मांगा था। टिकट न मिलने पर कांग्रेस में चले गये। कांग्रेस ने तत्काल टिकट दे दिया। लेकिन बुरी तरह हार गये। हारने के बाद कांग्रेस ने प्रदेश पदाधिकारी बना दिया है। नेताजी अब रायसेन जिले के उदयपुरा विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय हैं। इनकी सक्रियता से ज्यादा चर्चा इनके विशाल निर्माणाधीन बंगले की हो रही है। मजेदार बात यह है कि कमलनाथ के बेहद खास इन नेताजी की सक्रियता से उदयपुरा के कांग्रेस विधायक देवेन्द्र पटेल की धड़कनें बढ़ी हुई हैं।

 

*पूर्व सांसद की चुप्पी से भाजपा नेताओं की धड़कनें बढ़ी!*

सागर से भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद लक्ष्मीनारायण यादव की चुप्पी से भाजपा नेताओं की धड़कनें बढ़ी हुई हैं। यह भी खबर आ रही है कि यादव कांग्रेस के संपर्क में हैं। ऐन चुनाव के वक्त वे सुरखी या खुरई से चुनाव लड़ सकते हैं। दोनों सीटों पर यादव वोटों की संख्या काफी है। पिछले चुनाव में भाजपा ने उनके बेटे सुधीर यादव को सुरखी से चुनाव लड़ाया था, लेकिन वे कांग्रेस के गोविन्द राजपूत से हार गये थे। राजपूत अब भाजपा में आ गये हैं। ऐसे में यादव पिता-पुत्र को फिलहाल भाजपा में कोई भविष्य नहीं दिख रहा है। इस सप्ताह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सागर पहुंचे तो उन्होंने लक्ष्मीनारायण यादव के बारे में पूछताछ की है। लक्ष्मीनारायण यादव मूलत: समाजवादी नेता हैं। मप्र में समाजवादी आन्दोलन हंसिये पर चले जाने के बाद वे भाजपा में आ गये थे। सागर से सांसद भी रहे। फिलहाल अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर चिंतित हैं। उनकी खामोशी बता रही है कि अगले विधानसभा चुनाव से पहले वे कोई बड़ा फैसला कर सकते हैं।

 

*रिटायर अफसर ने 35 करोड़ क्रिप्टो करेंसी में लगाये?*

इस खबर की पुष्टि कतई नहीं हो रही है। लेकिन जांच एजेंसियां इस सूचना की तहकीकात कर रही हैं कि मप्र के एक रिटायर अफसर ने लगभग 35 करोड़ रुपये क्रिप्टो करेंसी के जरिये विदेश में भेज दिये हैं। पिछले तीन वर्ष से देश की दो जांच एजेंसी इस अफसर की अवैध सम्पत्ति की जांच में लगी हुई हैं। इस अफसर के खिलाफ शिकायत करने वाले ने अपनी नई शिकायत में एजेंसियों को बताया कि 35 करोड़ रुपये क्रिप्टो करेंसी में लगाये गये है। यह वह रकम है जो अभी तक जांच एजेंसी के राडार पर नहीं थी। इसके अलावा शिकायतकर्ता ने जानकारी दी है कि पूर्व अफसर उन सम्पत्तियों को भी खुर्द-बुर्द कर रहे हैं जो अभी तक जांच के दायरे में नहीं आई हैं। इन सम्पत्तियों के नामांतरण के दस्तावेज भी मौखिक शिकायत के साथ दिये गये हैं। इसके पहले यही शिकायतकर्ता 200 सम्पत्तियों की सूची एजेंसियों को देकर दावा कर चुका है कि यह सभी सम्पत्तियां रिटायर अफसर की हैं।

 

*व्हीसप्रिंग पाॅम के बंगले की होगी नपती!*

भोपाल के बड़े तालाब के किनारे लो डेन्सिटी एरिये में बनी अफसरों और धनाढ्य लोगों की काॅलोनी व्हीसप्रिंग पाॅम में हुए अवैध निर्माण को लेकर इस सप्ताह भोपाल कोर्ट में एक वरिष्ठ रिटायर आईएएस अफसर के बंगले की नपती करने का आवेदन लगाया गया है। इस पर फैसला जुलाई में होने की संभावना है। इस काॅलोनी का एफएआर 0.06 हैं। यानि 10 हजार वर्गफीट के प्लाट पर मात्र 600 वर्गफीट निर्माण कर सकते हैं। यहां जिम्मेदार अफसरों ने कानून की धज्जियां उड़ाते हुए 7000 वर्गफीट तक निर्माण कर लिया है। नक्शे में बेहद बेशर्मी से अपने बेडरूमों को सर्वेंट क्वार्टर और ड्राइंग रूम को पार्किंग एरिया बताकर बचने की कोशिश की जा रही है। आवेदन का कहना है कि पूरी उम्मीद है कि भोपाल कोर्ट नपती कराकर अवैध निर्माण तोड़ने के आदेश देगा। यदि ऐसा नहीं हुआ तो हाईकोर्ट जाने का विकल्प खुला हुआ है।

 

*और अंत में…!*

मप्र के एक जिले में दो मंत्रियों ने अपने अपने विधानसभा क्षेत्र में सामूहिक विवाह के भव्य आयोजन किये। इनमें एक मंत्री सिंधिया समर्थक हैं। दूसरे को शिवराज सिंह चौहान का बेहद खास माना जाता है। दोनों मंत्रियों ने मुख्यमंत्री को आमंत्रित किया था। लेकिन व्यस्तता के कारण वे नहीं पहुंच सके। चर्चा है कि दोनों मंत्रियों ने आग्रह किया था कि सीएम ऑनलाइन समारोह को संबोधित करें। सीएम ने अपने समर्थक मंत्री के समारोह को वीडियो कान्फ्रेंस के जरिये संबोधित किया। लेकिन सिंधिया समर्थक मंत्री के समारोह को संबोधित नहीं कर पाये। इसे लेकर पूरे जिले में चर्चा तेज है और तमाम अटकलों ने भी जन्म ले लिया है।