दुनिया की कोई ताकत मुझे चुनाव लड़ने से नहीं रोक सकती-निशा बांगरे पूर्व डिप्टी कलेक्टर
आगामी विधानसभा चुनाव में मैं नामांकन भरूंगी भी,और चुनाव लडूंगी भी ।
इसके बाद भी यदि द्वेष पूर्ण भावना के द्वारा मेरा नामांकन खारिज किया जाता है या मेरा इस्तीफा अस्वीकार करके चुनाव लड़ने से रोका जाता है तो अपने अधिकारों से वंचित रहकर जीवित रहने से बेहतर मैं आमरण अनशन कर अपने प्राण त्यागना पसंद करूंगी।
आज निशा बांगरे (पूर्व डिप्टी कलेक्टर) के एक वीडियो मैसेज ने राजनीतिक गलियारों में सनसनी मचा दिया।
उन्होंने घोषणा किया कि दुनिया की कोई भी ताकत उन्हें चुनाव लड़ने से नहीं रोक सकती और अगर दुर्भावना पूर्ण कार्रवाई के द्वारा उन्हें चुनाव लड़ने से रोका जाता है या उन्हें परेशान करने की नीयत से उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया जाता है तो वह आमरण अनशन करके अपने प्राण त्याग देंगे परंतु अपने अधिकारों से समझौता करके जीना पसंद नहीं करेंगे।
उन्होंने अपनी वीडियो मैसेज में जनता के सामने अपनी बात रखी और बताया कि किस तरीके से उन्हें अपने ही घर के उद्घाटन कार्यक्रम में आयोजित सर्वधर्म प्रार्थना में जाने से तथा भगवान बुद्ध की अस्थियों के दर्शन करने से शासन के पत्र द्वारा उन्हें रोका गया और जब इससे आहत होकर उन्होंने इस्तीफा दिया तो उन्हें तरह तरह से परेशान किया जा रहा है।
इस्तीफा उन्होंने इसलिए दिया था ताकि वह अपने घर पर आयोजित कार्यक्रम में सम्मिलित हो सके। इसीलिए इस्तीफा देने के बाद ही वह कार्यक्रम में सम्मिलित हुई।
इसके बावजूद शासन के द्वारा बैक डेट पर उन्हें नोटिस जारी किए गए।
1 महीने तक उनके इस्तीफा पर कोई निर्णय नहीं लिया गया।
और इसके बाद जब वह न्याय के लिए हाई कोर्ट की शरण में गई तो कोर्ट को भी गुमराह करते हुए शासन ने हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी GAD के सर्कुलर के विपरीत उनके खिलाफ अपने घर के कार्यक्रम में सम्मिलित होने के कारण विभागीय जांच शुरू कर दिया और फिर उसी जांच का हवाला देकर उनके इस्तीफा को अस्वीकार कर दिया।
इस प्रकार उन्हें तरह-तरह से प्रताड़ित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस तरीके से एक दलित महिला अधिकारी को बेवजह प्रताड़ित करने से संपूर्ण दलित समुदाय, आदिवासी समुदाय और सभी महिलाओं में आक्रोश है तथा एक अधिकारी को इस तरीके से परेशान करने से तथा बैक डेट में नोटिस देने से और बेवजह विभागीय जांच शुरू किए जाने से अंदर खाने अधिकारी वर्ग भी व्यथित हैं और शासन के इस कृत्य से उनके मन में भी दुख और असंतोष है।
उन्होंने आज अपने वीडियो मैसेज से आमला की जनता को यह स्पष्ट संदेश दे दिया कि वह आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने वाली है। हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि वह किस पार्टी से चुनाव लड़ेंगे अथवा क्या वह निर्दलीय चुनाव लड़ने वाली हैं।
उनके इस वीडियो मैसेज के बाद भाजपा और कांग्रेस के सभी दावेदारों में खलबली मच गई है, जो अब तक यह सोच रहे थे कि शायद उसके इस्तीफा को रोककर उन्हें राजनीति में जाने से रोका जा सकता है वह सब उनके खुले तौर पर चुनाव लड़ने के उद्घोषणा से परेशान नजर आए।
निशा बांगरे अपने इसी तरह के बोल्ड उद्घोषणा के लिए जानी जाती हैं।
एक उद्घोषणा वह पहले भी करके उसे साबित कर चुकी हैं। उन्होंने पहले भी यह कहा था कि दुनिया की कोई भी ताकत मुझे कार्यक्रम करने से नहीं रोक सकती है और प्रशासन की विभिन्न प्रयासों के बावजूद तथा कुछ संगठनों के उनके कार्यक्रम को रोकने के अथक प्रयासों के बाद भी उन्हें कार्यक्रम करने से नहीं रोक पाए और उनके कार्यक्रम में जनसैलाब भी स्वतः उमड़ पड़ा था जिससे शासन और वर्तमान विधायक की बहुत किरकिरी हुई थी और उनके खिलाफ जनाक्रोश भी देखने को मिला था।
अब देखना यह है कि इस नए घोषणा में उन्हें आमला की जनता का कितना सहयोग मिलता है। वैसे अंदर खाने यही खबर मिलती है कि आमला की जनता गोपनीय तौर पर उनके चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है और सभी के मन में उत्साह है की पहली बार अमला को शायद बेहतर प्रतिनिधित्व मिलेगा।
ग्रामीण अंचलों से यह खबर मिलती है कि वह महिलाएं जो कभी राजनीति में रुचि तक नहीं लेती थी आज निशा बांगरे की सक्रियता के कारण राजनीति की बातें करती नजर आती है और उनके राजनीति और जनसेवा के लिए किए गए डिप्टी कलेक्टर जैसे पद के त्याग के बारे में चर्चा करते नजर आते है ।
वैसे होना क्या है यह तो भविष्य के गर्त में ही छुपा है परंतु निशा बांगरे के चुनावी मैदान में प्रवेश करने से आमला का चुनावी संग्राम बहुत ही रोचक तथा आकर्षक हो गया है और मध्य प्रदेश के चुनावी मैदान में एक विशेष आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।