जनजाति, अगड़ा-पिछड़ा, सवर्ण नाम की कोई जाति नहीं, यह देश को तोडऩे का षडयंत्र- विधायक पन्नालाल शाक्य

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बिरसा मुंडा जयंती पर गुना में आयोजित जनजातीय गौरव दिवस कार्यक्रम में इतिहास और सामाजिक संरचना पर दिया बड़ा बयान

दिल्ली धमाके को लेकर कहा- ऐसी घटना रोकने एसआईआर जरूरी

गुना। भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर आयोजित जिला स्तरीय जनजातीय गौरव दिवस कार्यक्रम में विधायक पन्नालाल शाक्य ने कह डाला कि हमारे देश में अनुसूचित जाति, जनजाति, अगड़ा-पिछड़ा, सवर्ण-अवर्ण जैसी कोई पहचान नहीं थी। जनजाति नाम की कोई जाति तो कभी थी ही नहीं। यह विभाजन देश को तोडऩे की साज़िश के तहत खड़ा किया गया था और पिछले ढाई सौ वर्षों से हम इसे ढो रहे हैं। देश में समय-समय पर महापुरूषों ने बलिदान दिए हैं। लगभग एक हजार वर्ष तक के जिन्होंने बलिदान दिए हैं उनके तो इतिहास में नाम ही नहीं है।
विधायक शाक्य ने इतिहास के संदर्भ में कहा कि देश की प्राचीन सामाजिक संरचना को जानना जरूरी है। उन्होंने बताया कि पुराने समय में समाज के लोग केवल उनके भौगोलिक स्वरूप के आधार पर पहचाने जाते थे—नगरों में रहने वाले ‘नगरवासी’, गांवों में रहने वाले ‘ग्रामवासी’, जंगलों में रहने वाले ‘वनवासी’ और पहाडय़िों-कंदराओं में रहने वाले ‘गिरिवासी’। इनमें कहीं भी ‘जनजाति’ या किसी जाति विशेष की कोई परिभाषा नहीं थी।

शाक्य ने कहा कि अंग्रेजों के शासनकाल में और उससे पहले भी कुछ ताकतों ने समाज को जातियों में विभाजित करने की कोशिश की, जिसका असर आज तक देखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस विकृति से बाहर निकलने और समाज में सच्चे अर्थों में समरसता लाने के प्रयास ज़रूरी हैं।
वहीं दिल्ली धमाके को लेकर कहा कि इसके लिए दिल्ली धमाके जैसी घटना को रोकने केंद्र सरकार की जो एसआईआर की योजना है,वह बेहद जरूरी।तभी हम बिरसा मुंडा की जयंती को सफल मना पाएंगे।
भाजपा विधायक पन्नालाल शाक्य ने दिल्ली धमाके की आड़ में एसआईआर (SIR)को देश हित में बहुत जरूरी बताने की साथ ही बाहरी लोगों को लेकर गुस्सा जाहिर कर दिया ।
उनका कहना था ,कि दिल्ली में जो धमाके हुए हैं ।हम यह सोचकर खुश हैं कि हमारे गुना में थोड़ी हुए हैं ।जरा मोबाईल से अपने अपने लोगों को कमेंट कर भेजो।जिससे यह पता चल सके कि यह देश में क्या हो रहा है,कौन लोग करा रहे हैं, उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं को कौन रोकेगा ।यहां बैठे कलेक्टर ,एसपी थोड़ी रोकेंगे। इसके लिए आम जनमानस को ही आगे आकर ऐसी घटनाओं को रोकना होगा।इसके लिए केंद्र सरकार की जो यह योजना चल रही है ,एसआईआर इसमें ज्यादा से ज्यादा भागीदारी करें। नहीं तो मोबाईल कैमरे चलाते रह जाओगे,पता भी नहीं चलेगा कब फट गए।
मेरा कहना है कि बिरसा मुंडा की जयंती तभी सफल होगी ।जब एसआईआर सफल होगा।तभी हमें पता चलेगा कि जो एक-एक घर में 20 से 25 लोग रह रहे हैं ।यह लोग कौन हैं ,और कहां से आए हैं। इसके लिए एसआईआर बहुत जरूरी है, ताकि आने वाले समय में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।