करोड़ों के प्लांटेशन उजड़े, मशीनों से हुआ काम, चोरी के खंडा-बोल्डरों से हुआ बाउंड्री निर्माण, विभागीय निरीक्षण, मूल्यांकन व सत्यापन पर लगे सवालिया निशान

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प्लांटेशनों में पौधों के नाम पर दिखाई दे रहा है समतल मैदान, वन विभाग की मिलीभगत से साकार रूप नहीं ले सके प्लांटेशन
कोलारस। कोलारस वन परिक्षेत्र के अंतर्गत आने वाली वीटों में कई वर्षों से हुए उजाड और जंगलों की कटाई से हजारों वीघा वन भूमि खाली हो गई थी। जिसे देखते हुए वन विभाग द्वारा बड़े-बड़े वृक्षोरापण करने की कवायद प्रारंभ की गई। सभी वीटों में खाली पडी हुई जमीनों का निरीक्षण कर उनमें करोडों की लागत से प्लांटेशन बनाए जाने के लिए प्रस्ताव तैयार किए गए। वन विभाग को प्लांटेशन रोकने के लिए शासन द्वारा करोड़ों रूपया भी मुहैया कराया गया।
तीन वर्षों में वन परिक्षेत्र कोलारस की सभी वीटों में प्लांटेशनों के नाम पर लाखों पेड कागजों में रोपित कर दिए गए। लेकिन तात्कालीन समय में जब प्लांटेशन निर्माणाधीन थे और करोडों रूपया विभाग द्वारा मुहैया कराया गया था। तो उस राशि पर विभागीय अधिकारियों की नजर डबाडोल हो गई और इस करोडों की राशि को ऐन,केन, प्रकारेण अपनी जेबों में भरने की कवायद वन विभाग के आला-अफसरों द्वारा योजनाबद्व तरीके से तैयार की गई। प्लांटेशन निर्माण के समय नियम अनुसार डेढ मीटर चौढाई और 90 सेंटीमीटर ऊचाई सुनिश्चित की गई थी। वहीं प्लांटेशनों में गढढे खोदने के लिए मजदूरों से कार्य कराया जाना अनिवार्य था। किंतु ऐसा कुछ देखने को नहीं मिला। प्रत्येक प्लांटेशन के लिए एक करोड से अधिक की राशि विभाग द्वारा स्वीक्रत की गई थी जिसमें एसडीओ, रेंजर व डिप्टी रेंजरों के तालमेल से ही पूरे कार्य कराए गए। जिनमें गंभीर अनिमित्ताएं निकलकर सामने आईं और वर्तमान में उक्त सभी प्लांटेशन ऊजाड पडे हुए हैं। इन प्लांटेशनों की देखरेख के लिए प्रत्येक प्लांटेशन पर दो कर्मचारियों की नियुक्ति भी की जाना थी। लेकिन विभाग द्वारा ऐसा नहीं किया गया जिसके चलते माफियाओं ने प्लांटेशनों की बाउंड्रीयों में लगाए गए खंडा, बोल्डरों को भी चोरी कर लिया। जानकारी के अनुसार कोलारस वन परिक्षेत्र की खरैह, पारागढ, राई, पनिहारी आदि वीटों में पदस्थ डिप्टी रेंजरों द्वारा जो प्लांटेशन पर्दे के पीछे से निर्मित कराए गए थे उनकी यदि निष्पक्ष जांच हो जाए तो आर्थिक घोटाले की बडी तस्वीरें निकलकर सामने आएंगी। शासकीय राशि को हडपने के लिए हर स्तर से वन अमले ने योजनाबद्व तरीके से जेसीबी मशीनों व ट्रेक्टरों से काम कराया। वन विभाग की भूमि से ही अवैध उत्खनन कर खंडा, बोल्डर परिवहन कर प्लांटेशनों में लगाए गए। जिनमें न तो शासन द्वारा निर्धारित पौधे रोपण किए गए और न ही उनकी सिंचाई की व्यवस्था की गई। जबकि कागजों में सभी कार्यों के बिल लगाकर राशि निकाल ली गई। आज सभी प्लांटेशन अपनी दुदर्शा पर आंसू बहा रहे हैं।