मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) को ‘राष्ट्रीय सुरक्षा खतरा’ बताकर चीता परियोजना की जानकारी को छिपाने पर जुर्माने और जांच के लिए नोटिस

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भोपाल। मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयोग ने वरिष्ठ वन अधिकारी शुभ रंजन सेन के खिलाफ कार्रवाई शुरू की है,जिसने कथित तौर पर राज्य की बहुचर्चित चीता परियोजना से संबंधित जानकारी को जानबूझकर रोका था और इसके खुलासे को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया था।

मुख्य सूचना आयुक्त (सीआईसी) विजय यादव ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) वन्यजीव, शुभ रंजन सेन को औपचारिक नोटिस जारी किया है, जिसमें उन्हें अपना जवाब दाखिल करने के लिए 12 दिसंबर, 2025 को आयोग के समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया गया है। नोटिस में वरिष्ठ अधिकारी के खिलाफ आरटीआई एक्ट अनुसार कानूनी जुर्माना और विभागीय जांच की संभावित कार्यवाही शामिल है।

 

यह कार्रवाई वन्यजीव और आरटीआई कार्यकर्ता अजय दुबे द्वारा दायर एक शिकायत से शुरू हुई है। जुलाई 2024 में, दुबे ने सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चल रही चीता परियोजना के कार्यान्वयन, प्रबंधन और बजट पर विवरण मांगते हुए एक आवेदन दायर किया था।

शिकायत अनुसार लोक सूचना अधिकारी (पीआईओ), सौरभ काबरा को जानकारी का जवाब देना था लेकिन श्री सेन ने लिखित में आरटीआई एक्ट का उल्लंघन कर लोक सूचना अधिकारी को अवैधानिक तौर पर जानकारी मांगने के अनुरोध को पूरी तरह से अस्वीकार करने का निर्देश दिया।

श्री सेन पर आरोप है कि उन्होंने पीआईओ लोक सूचना अधिकारी को आरटीआई अधिनियम की धारा 8(1)(a) का हवाला देते हुए जानकारी को रोकने का निर्देश दिया, जो एक ऐसा खंड है जो ऐसी जानकारी के लिए आरक्षित है जिससे “भारत की संप्रभुता और अखंडता, राज्य की सुरक्षा, रणनीति, वैज्ञानिक या आर्थिक हितों, विदेश राज्य से संबंध पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता हो या किसी अपराध के लिए उकसाहट हो।”

वन्यजीव और आरटीआई कार्यकर्ता अजय दुबे ने पीसीसीएफ वन्यजीव के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है, राज्य सूचना आयोग में शिकायत दर्ज कर श्री सेन के खिलाफ संरक्षण परियोजना के सार्वजनिक डेटा को छिपाने के लिए अधिनियम के कथित दुरुपयोग के लिए जुर्माना, विभागीय जांच और मुआवजे की मांग की है।दिनांक 12 दिसंबर, 2025 को शुभ रंजन सेन जवाब के साथ सुनवाई के लिए तलब हुए है