15 साल पुरानी फाइलों में छिपा राज सामने आया, बिना स्वीकृति और बिना विज्ञप्ति के हुई थी भर्ती, कार्यकर्ता पद से हटाई गई
शिवपुरी। पोहरी में महिला एवं बाल विकास विभाग ने 15 साल पुरानी नियुक्ति की परतें खोलते हुए अमरपुरा आंगनवाड़ी केंद्र की कार्यकर्ता नीतू जादौन को पद से हटा दिया है। जांच में ऐसे चौंकाने वाले तथ्य सामने आए, जिन्होंने पूरे विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए। सबसे बड़ा खुलासा जिस केंद्र के लिए भर्ती हुई थी, वह उस समय स्वीकृत ही नहीं था!
कलेक्टर को गगन सिंह पवार और गुलाब सिंह राजावत द्वारा की गई शिकायतों के आधार पर पूरी कार्रवाई शुरू हुई। शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि नीतू जादौन की नियुक्ति 2009-11 के बीच घोर अनियमितताओं के साथ की गई थी। कलेक्टर के निर्देश पर एसडीएम पोहरी ने जांच की और पाया कि 2009, 2010 और 2011 में न तो कोई विज्ञप्ति जारी हुई थी, न केंद्र का स्वीकृति आदेश मौजूद था, और न ही चयन प्रक्रिया से जुड़ा कोई बुनियादी दस्तावेज। एसडीएम ने जब नियुक्ति से जुड़े कागजात मांगे, तो जिम्मेदार अधिकारी एक भी दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर पाए, जिससे संदेह और गहरा गया। जांच रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया कि चयन प्रक्रिया पूरी तरह अपारदर्शी, नियम विरुद्ध और अस्वीकृत केंद्र के नाम पर की गई थी। इन गंभीर अनियमितताओं के आधार पर एसडीएम पोहरी ने नीतू जादौन को पद से हटाने की अनुशंसा की। इसके बाद, वल्लभ भवन भोपाल से प्राप्त दिशा-निर्देशों के अनुसार एकीकृत बाल विकास परियोजना पोहरी के परियोजना अधिकारी ने आधिकारिक आदेश जारी कर नीतू जादौन को पद से हटा दिया। आदेश की प्रतियां कलेक्टर, जिला कार्यक्रम अधिकारी, एसडीएम, सेक्टर पर्यवेक्षक और शिकायतकर्ताओं को भेज दी गई हैं। विभागीय गलियारों में यह मामला लंबे समय बाद पकड़े गए नियुक्ति घोटाले के रूप में चर्चा का विषय बना हुआ है।
































