सुबोध अग्निहोत्री
नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री राकेश शुक्ला सिर्फ संस्कारी ही पंडित नहीं हैं वरन वे धर्म और कर्म में विश्वास करने वाले व्यक्ति हैं।शुद्ध सात्विक प्रवृत्ति ही उनकी पूंजी है। वे श्री सीताराम के जय घोष के साथ ही सुबह की शुरुआत करते हैं और रात्रि विश्राम तक यही क्रम चलता रहता है।ईश्वर की कृपा और बुजुर्गों के आशीर्वाद ने उन्हें मेहगांव जैसे छोटे से कस्बे से केबिनेट मंत्री के ओहदे तक पहुंचा दिया।ये पद और प्रतिष्ठा उनके पूज्य पिताश्री के पुण्य प्रताप का ही प्रतिफल है।श्री शुक्ला ये मानते हैं कि भगवत कृपा ने जनता जनार्दन की सेवा का सुअवसर प्रदान किया है इसे व्यर्थ नहीं जाने देना है।गरीब ,असहाय,बेसहारा लोगों की मदद ही उनका उद्देश्य और सर्वोपरि लक्ष्य भी है।उन गरीबों की दुआओं ने ही यहाँ तक पहुंचाया है।श्री शुक्ला के पिताश्री स्व.शिवकुमार शुक्ला जितने दबंग थे उतने ही राकेश शुक्ला भी हैं।भीड़ में भी अपनों को पहिचानने की कला में वे माहिर हैं।अपना कौन?यह वे बहुत अच्छे से जानते हैं।संगठन की शैली पर काम करना उनका स्वभाव है असली और फसली कार्यकर्ता की परख भी वे बखूबी जानते हैं।ऊर्जा के क्षेत्र में वे भिण्ड जिले में ऐसा कुछ करने की तमन्ना रखते हैं जो नजीर बन सके।उनका उद्देश्य सफल हो ।यही भिण्ड जिले की जनता और मेहगांव जे लोग चाहते हैं।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।