राज-काज : शास्त्री को ‘उचक्का’ कह मार्यादा लांघ गए नायक….

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The hero crossed the limits by calling Shastri a 'snitch


Politics: The hero crossed the limits by calling Shastri a ‘snitch’…

दिनेश निगम ‘त्यागी’
प्रदेश कांग्रेस के मीडिया प्रभारी मुकेश नायक खुद प्रवचन करते रहे हैं और राजनेता के साथ धार्मिक, अध्यात्मिक व्यक्ति हैं। छतरपुर जिले में स्थित बागेश्वरधाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की बातचीत की शैली अलग हो सकती है। नायक को उनकी यह नापसंद हो सकती है। पर सच यह है कि धीरेंद्र शास्त्री अपने आराध्य बालाजी हनुमान की कृपा से ही लोगों की समस्याओं का समाधान करने का दावा करते हैं। वे देश-विदेश में कथा के लिए जाते हैं। उन्हें सुनने लाखों लोगों की भीड़ इकट्ठा होती है। शास्त्री सामाजिक काम भी करते हैं। हर साल वे निर्धन परिवारों की कन्याओं के सामूहिक विवाह कराते हैं। अब तो वे कैंसर अस्पताल भी बनवा रहे हैं। उनके कार्यक्रमों में प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी के बाद राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू पहुंच रही हैं। ऐसे सख्श को ‘उचक्का’ कह देना मर्यादा की सीमा को लांघना है। नायक ने उन्हें शास्त्रार्थ की चुनौती दे डाली और कहा कि यदि वे हार गए तो सिर मुड़ा लेंगे और यदि शास्त्री हारें तो वे सिर मुड़ा लें। उनकी यह चुनौती भी बेतुकी है। नायक ने ऐसा तब कर दिया जब वे खुद बुंदेलखंड से हैं और कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता बागेश्वरधाम जाकर धीरेंद्र शास्त्री से आशीर्वाद लेते हैं। नायक को कांग्रेसी होने के नाते सिर्फ विरोध के लिए विरोध नहीं करना चाहिए और अपनी गलती सुधारना चाहिए। कांग्रेस ऐसे मामलों के कारण ही नीचे जा रही है।

लीजिए, हेमंत ने फिर पकड़ ली उमंग से अलग राह….

जब नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने परिवहन घोटाले को लेकर पूर्व परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के खिलाफ आरोपों का पिटारा खोला था, तब ही ये संकेत मिल गए थे कि सिंघार की अपने ही उप नेता हेमंत कटारे के साथ पटरी नहीं बैठ रही। हेमंत ने पूर्व परिवहन मंत्री भूपेंद्र सिंह के खिलाफ मोर्चा खोला था और परिवहन घोटाले के मुख्य आरोपी सौरभ शर्मा की नियुक्ति में उनका हाथ बताया था। इस आरोप पर नेता प्रतिपक्ष सिंघार कुछ नहीं बाले थे बल्िक गोविंद राजपूत के खिलाफ आरोप जड़े थे। इससे लगा था कि नेता प्रतिपक्ष और उप नेता प्रतिपक्ष पूर्व मंत्रियों के हाथों खेल रहे हैं। इसकी पुष्टि तब और हो गई जब उमंग के आरोपों पर गोविंद को न घेर कर हेमंत लोकायुक्त के पास पहुंच गए और सौरभ के साथ भूपेंद्र को आरोपी बनाने की मांग कर डाली। उमंग और हेमंत के आरोपों में दम हो सकता है लेकिन लोगों को यही लग रहा है कि कटारे गोविंद के इशारे पर भूपेंद्र को घेर रहे हैं और सिंघार भूपेंद्र के इशारे पर गोविंद को। हालांकि भाजपा की सरकार में विपक्ष के आरोपों पर न पहले कभी कोई कार्रवाई हुई और न ही अब होगी। अलबत्ता, इससे कांग्रेस में उमंग-हेमंत की छवि खराब हो रही है और भाजपा में भूपेंद्र-गोविंद की। इस स्थिति को समाप्त करने के लिए जांच एजेंसियों को चाहिए कि वे जल्दी जांच पूरी कर ‘दूध का दूध-पानी का पानी’ कर दें।

शिवराज द्वारा टूटी सीट का मुद्दा उठाना कितना जायज….?

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की गिनती जनता की नब्ज पहचानने वाले नेता के तौर पर होती है। सोलह साल से ज्यादा समय तक प्रदेश के मुख्यमंत्री वे अपनी इसी खूबी की बदौलत ही रहे। उन्होंने हमेशा ऐसी योजनाएं बनाईं, जिन्हें लोगों ने सिर आंखों लिया। उनकी लाड़ली बहना योजना तो पूरे देश में छा गई और चुनाव जीतने का ट्रंप कार्ड बन गई। हाल ही में शिवराज ने एयर इंडिया में टूटी सीट मिलने का मुद्दा पूरी शिद्दत से उठाया है। राजनीतिक हलकों में यह विषय चर्चा का विषय बन गया। सवाल है, शिवराज द्वारा इस मुद्दे को इस तरह उठाना कितना जायज है? क्या ऐसा कर वे जनता की सहानुभूति हासिल कर पाएंगे? इस पर लोग बंटे नजर आते हैं। एक पक्ष का कहना है कि शिवराज को खुद को हुई इस परेशानी को इस तरह हवा नहीं देना चाहिए थी। वैसे भी शिवराज महिलाओं, बच्चों, गरीबों और किसानों की राजनीति के लिए जाने जाते हैं। हवाई यात्रा इनमें से कोई वर्ग नहीं करता। इसलिए उन्हें सिर्फ एयर इंडिया तक अपनी शिकायत पहुंचाना थी, इतना हंगामा खड़ा नहीं करना था। जबकि दूसरे पक्ष का कहना है कि शिवराज जैसा नेता भी ऐसी समस्या में शांत रह गए तो व्यवस्था में सुधार कैसे होगा? केंद्रीय मंत्री को ऐसी सीट मिल सकती है तो आम यात्रियों के साथ क्या होता होगा? इसलिए एयर इंडिया को हैसियत बताना जरूरी था।

क्या हितानंद जी को कार्यशैली में सुधार की जरूरत….?

प्रदेश भाजपा के सबसे ताकतवर नेता संगठन महामंत्री हितानंद पर पार्टी के ही एक पूर्व विधायक ने पहली बार गंभीर आरोप लगा दिए। ये आरोप प्रदेश भाजपा के लिए चिंता में डालने वाले हैं। छतरपुर जिले के एक पूर्व विधायक पूष्पेंद्र नाथ गुड्डन पाठक ने हालांकि सोशल मीडिया पर डाली पोस्ट हंगामा होने पर डिलीट भी कर दी। लेकिन यह पोस्ट कई सवाल पैदा कर गई। पाठक ने फेसबुक में हितानंद की पोस्टों का जिक्र करते हुए लिखा कि ‘सीधे मोदी जी से आपका मुकाबला चल रहा है भाईसाब सोशल मीडिया में। ऐसा लग रहा है आप संगठन छोड़ कर, चुनाव लड़ देश का नेतृत्व करने की तैयारी कर रहे हैं। पिछली 10 पोस्ट में कोई भी संगठन संबंधी नहीं है आपकी। देश दुनिया की फिक्र है आपको। जबकि आपको मुकाबला करना चाहिए, श्रद्धेय कुशा भाऊ ठाकरे जी से। आप उनके उत्तराधिकारी हैं, किसी मंडल या जिला स्तर के कार्यकर्ता के घर की चाय पीते की पोस्ट, किसी कार्यकर्ता के होनहार बच्चों की या माता पिता के साथ वार्ता की पोस्ट डालें तो लगे कि आप संगठन के जिम्मेदार हैं। उन्होंने लिखा कि ठाकरे जी के दरवाजे सभी के लिए खुले रहते थे। आपके गेट बंद रहते हैं। ठाकरे जी कार्यकर्ता से हर तरह की चर्चा कर मदद भी करते थे, जबकि आप को फोन पर बात करना भी जरूरी नहीं लगता। आप तो चुनाव लड़ जाओ भाईसाब। बहुत बहुत शुभकामनाएं।’ इसके बाद हितानंद जी को अपने बारे में सोचना चाहिए।

मप्र को विकास के पथ पर सरपट दौड़ा सकेंगे ‘मोहन’….!

मध्य प्रदेश की गरीबी, बेराेजगारी दूर करने, प्रदेश को विकास के पथ पर सरपट दौड़ाने के लिए मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव नई रणनीति के साथ कठिन परिश्रम कर रहे हैं। बस सवाल यह है कि इसमें वे कामयाब हो पाएंगे या नहीं? अच्छी बात यह है कि भोपाल मेें आयोजित इन्वेस्टर्स समिट को सफल बनाने के लिए उन्होंने देश-विदेश में जो दौरे किए हैं, उसकी झलक भोपाल में दिखी है। प्रदेश में इससे पहले भी इन्वेस्टर्स समिट होती रही हैं। लाखों, करोड़ों के निवेश करार होते रहे हैं लेकिन धरातल में मूर्तरूप लेने का प्रतिशत बहुत कम रहा है। इसीलिए कांग्रेस को इन्वेस्टर्स समिट की सफलता को लेकर सवाल उठाने का मौका मिल गया। डॉ यादव ने अलग रणनीति अपनाई है। उन्होंने पहले संभाग स्तर पर रीजनल इन्वेस्टर्स समिट की, इसके बाद ग्लोबल समिट की ओर कदम बढ़ाया। पहले इंदौर में ये समिट होती थीं, डॉ यादव ने पहली बार इसके लिए प्रदेश की राजधानी भोपाल को चुना ताकि फोकस समूचे मप्र में रहे, किसी एक शहर में नहीं। नतीजे में बड़ी सफलता मिलती दिख रही है। समिट में 20 हजार प्रतिनिधियों के शामिल होने का लक्ष्य निर्धारित था लेकिन आयोजन से दो दिन पहले ही 32 हजार से ज्यादा रजिस्ट्रेन हो गए। रजिस्ट्रेशन बंद कर देना पड़े। समिट को लेकर उत्साह की कमी नहीं रही। इसलिए परिणाम भी सुखद ही मिलने की संभावना है।