विदिशा संसदीय क्षेत्र में 3 दशक में बहुत कुछ कबाड़ा हो चुका है, उसे ठीक करना है

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A lot of junk has happened in Vidisha parliamentary constituency in last 3 decades, it has to be rectified.

विदिशा-रायसेन लोकसभा से कांग्रेस प्रत्याशी प्रतापभानु शर्मा से ‘पुष्पेन्द्र अहिरवार’ का ‘चुनावी साक्षात्कार’

  • अब वादाखिलाफी बहुत हो चुकी, इसके चलते बदलाव बेहद जरूरी है
  • शिवराज ने अपने संसदीय और मुख्यमंत्रित्व काल में कुछ भी नहीं किया
  • ईवीएम पर नजर रखना बहुत जरूरी है,यह मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर उठ रहा है
  • इस चुनाव के बाद दल-बदलुओं की कोई औकात नहीं रहेगी

पुष्पेन्द्र अहिरवार.
भोपाल/विदिशा। विदिशा-रायसेन संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी ने दो बार सांसद रहे प्रतापभानु शर्मा को फिर से प्रत्याशी बनाकर उतारा है। यह सीट आजादी के बाद से ही कांग्रेस के लिए मुश्किल भरी रही है। यहां कुल 15 लोकसभा चुनाव में से कांग्रेस दो बार जीतने में कामयाब रही। यह सीट पर अटल विहारी वाजपेयी और रामनाथ गोयनका, जैसी शंखसियत को संसद भेज चुकी है। इस सीट से शिवराज सिंह चौहान भी जननेता के रूप में अपनी पहचान बनाने में कामयाब रहे हैं। हालही में तथाकथित राजनैतिक वनवास खत्म कर शिवराज सिंह चौहान फिर से मैदान में हैं। उनके मुकाबले के लिए कांग्रेस से पूर्व सांसद प्रतापभानु शर्मा हैं। शर्मा इस सीट पर 33 साल बाद चुनावी मैदान में उतरे हैं। वे 1980 और 1984 में सांसद चुने गए थे। अब वादाखिलाफी बहुत हो चुकी है। इसके चलते बदलाव बेहद जरूरी है। विदिशा संसदीय क्षेत्र में 3 दशक में बहुत कुछ कबाड़ा हो चुका है। उसको ठीक करने के लिए प्रताप भानू को फिर हथियार उठाने पड़ंेगे। वे हरिभूमि और आईएनएच चैनल के प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी से ‘चुनावी संवाद’ कार्यक्रम में अपनी बात रख रहे थे।

सवाल: आप लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं, आपकी क्या है चुनावी रणनीति?
जवाब: मैं कांग्रेस पार्टी का अिधकृत प्रत्याशी हूं। पूरी दमखम से चुनाव लड़ रहा हूं और जीतूंगा भी। भाजपा ने जिस प्रत्याशी को मेरे सामने उतारा है, उन्होंने अपने संसदीय और मुख्यमंत्रित्व काल में ऐसा कुछ भी नहीं किया, जिसका उल्लेख किया जाए। उनकी कथनी और करनी में कितना अंतर है, यह जनता समझ चुकी है। लोकल मुद्दे इतने हो गए हैं कि उसका कोई सही प्रतिनिधित्व नहीं कर रहा है। बेतवा नदी की शुद्धि के लिए शिवराज ने 20 साल पहले कहा था, जो आज तक नहीं हुआ। उद्योग आएंगे, वे भी नहीं आए। मनमोहन सिंह के कार्यकाल में यहां की सांसद सुषमा स्वराज को रेल कारखाना दिया था, जिसका अिस्तत्व नहीं दिख रहा। रोजगार का मुद्दा वहीं का वहीं है। किसानों को फसल के दाम नहीं मिल रहे। महंगाई का मुद्दा तो बना ही हुआ है। ये सब स्थानीय मुद्दे हैं जिनसे लोग परेशान हैं।

सवाल: जब शिवराज के प्यादे चुनाव जीत जाते हैं तो अब वजीर खुद मैदान में हैं, कैसे आप जीतेंगे?
जवाब: क्षेत्र की जनता जनार्दन को समझने की जरूरत है। 30 साल के सांसद या मुख्यमंत्री के रूप में शिवराज ने हमारे क्षेत्र को क्या दिया। नौजवाब को रोजगार के लिए कितने उद्योग लगाए। नेता तो आते-जाते रहते हैं, लेकिन जनता तो वहीं की वहीं खड़ी है। जनता के आशीर्वाद से हम जीतेंगे। नेता तो स्वार्थ की सौदेबाजी करते रहते हैं। भाजपा ने तो ‘दलबदल सेल’ खोल दिया है, यह कितना शर्मनाक है। भ्रष्टाचार के आवरण में भाजपा ढकी हुई है। लोगों को लालच देकर खरीद रही है। हो सकता है कि शशांक भार्गव हारने के बाद टेंशन आए हों तो वे भाजपा में फोटो खिंचाने चले गए। 50 साल के अनुभव से कह सकता हूं कि जिस तरह की गंदी राजनीति चल रही है, ऐसी कभी नहीं हुई। जब जनता ने ही तय कर लिया कि हमें बदलाव लाना है तो नेताओं के आने-जाने से कुछ नहीं होगा।

सवाल: विधानसभा चुनाव के दौरान भी उतना ही आत्मविश्वास था, जितना आज है, इतना आत्मविश्वास कहां से लाते हैं?
जवाब: हम वक्त की कसौटी पर खरे उतरे हैं। क्षेत्र की कसौटी पर खरे उतरे हैं। मप्र में हमारी सरकार रही है। अभी हमारा प्रयास सरकार बनाने का था, लेकिन किसी कारणवश नहीं बना पाए। इसके कई कारण रहे हैं। प्रत्याशियों ने कई शिकायतें की। सबसे ज्यादा ईवीएम की शिकायतें की, जिनपर चुनाव आयोग मौन रहा है। परिणामों में हेराफेरी की शिकायतें भी आई हैं। यह सब आपने भी देखा है। ईवीएम पर नजर रखना बहुत जरूरी है। क्योंकि पूरा खेल और हेराफेरी इसी से संभव है। ईवीएम का मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर उठ रहा है, यह हमें कहने की जरूरत नहीं है।

सवाल: उसी ईवीएम से ही चुनाव हो रहे हैं तो आपके लिए गुंजाइश कहां बची है?
जवाब: ईवीएम पर कड़ी निगाह रखेंगे। अब ईवीएम में हेराफेरी बिल्कुल नहीं होने देंगे। यदि हुआ तो उसके लिए कानूनी लड़ाई लड़ी जाएगी। अब हाथ पर हाथ धरे कांग्रेस नहीं बैठे रहेगी। क्योंकि अब नेता और जनता इस बात को अच्छी से समझ चुकी है। पार्टी ने चुनाव आयोग से लेकर सुप्रीम कोर्ट में मुद्दे उठाए हैं। आगे भी लड़ाई लड़ंेगे। हमने चुनाव आयोग से कहा है कि ईवीएम से परिणाम दे रहे हैं, उसके साथ वीवीपेट की पर्ची की भी काउंटिंग की जाए, भले ही दो दिन लग जाएं, तभी परिणाम आएं। इससे डिजीटल टेक्नोलॉजी के दुरुपयोग को लेकर लोगों में जो शंका है, वह दूर हो जाएगी। अगर मैं कांग्रेस को वोट दे रहा हूं, वो हमें नहीं मिल रहा है तो यह हमारे मताधिकार का हनन है।

सवाल: आपके नेता तो पार्टी छोड़ रहे हैं, फिर कैसे जीत रहे हैं आप?
जवाब: देखिए, भाजपा सारे साम-दाम-दंड अपनाकर हमारे नेताओं को तोड़ रही है। ईडी, सीबीआई का डर दिखाया जा रहा है। यह भाजपा का छलकपट जनता देख रही है, वही इसका इस बार जवाब देगी। मेरा मानना है कि इस चुनाव के बाद दलबदलुओं की कोई औकात नहीं रहेगी। कोई 17 हजार कार्यकर्ता या नेता भाजपा में नहीं गए। मेरा दावा है कि भाजपा इन 17 हजार लोगों की लिस्ट प्रकाशित करे, तभी सच्चाई सामने आएगी। कुछ लोग पद या कमाने के लालच से सौदेबाजी करके गए हैं। यदि इस बार दिल्ली में सरकार बदली तो यही जाने वाले नेता उल्टी नाक से पांव रगड़ेंगे, ये मेरा दावा है।

सवाल: शिवराज 10 लाख वोटों से जीतने का दावा कर रहे हैं तो आपका क्या होगा?
जवाब: उनकी हवाहवाई बात करने की, घोषणावीर होने की पुरानी आदत है। मेरा दावा है कि वे 1 लाख से ज्यादा वोटों से हारेंगे। मप्र का इतिहास देख लीजिए कोई 10 लाख मतों से नहीं जीता। इसी से अंदाजा लगा लीजिए यह कितनी फर्जी बात है। भले ही विधानसभा में हम हारे हैं। इस घाटे को मेहनत की दमपर लाभ में बदलेंगे। जनता बदलेगी। इसलिए भी बदलेगा, क्योंकि 2 करोड़ लोगों को रोजगार देने की बात करने वालों ने 5 लाख लोगों को भी रोजगार नहीं दिया। 10 साल में 20 करोड़ लोगों का रोजगार मिलना चाहिए, वह कहां हैं। किसानों के लिए एमएसपी कानून नहीं बनाया। बड़े-बड़े उद्योगपतियों के 16-16 लाख करोड़ माफ हो गए, लेकिन किसान को खाद तक नहीं मिल रही। हरेक के खाते में 15-15 लाख अभी तक नहीं आए। अब जनता इनके वादों से उब गई है। इस भ्रष्ट तंत्र पर आप लोग और मीडिया ही अंकुश लगाएगी।

सवाल: प्रदेश में शिवराज अच्छे मुख्यमंत्री थे या अब मोहन?
जवाब: हमारे लिए दोनों ही ठीक नहीं हैं। क्योंकि पहले के घोषणा करते रहे और अबके यह दिखाने की इच्छा व्यक्त कर रहे कि हम अच्छे हैं, लेकिन कर वे भी कुछ नहीं रहे। शिवराज ने 3 हजार रुपए लाड़ली बहनों को देने की बात कही थी, लेकिन मिल रहे 1250, वह भी दिव्यांगों के पैसा काटकर। उन्हें 6 महीने से पैसा नहीं मिला। निराश्रितों हैं, वृद्ध हैं उनके पैसे भी नहीं मिल रहे। उनका पैसा रोका और बैंक से कर्जा लेकर 3 हजार के स्थान पर बमुश्िकल 1250 दे रहे हैं। यह सरकार कितनी बेईमान है।

सवाल: अगर प्रताप भानू जीतते हैं तो क्या होगा, आपका जनता से क्या संदेश है?
जवाब: जनता बदलाव चाहती है। क्योंकि उसे मालूम है कि प्रताप भानू को जिताएंगे तो संसद में क्षेत्र की आवाज बुलंद होगी। उन्हें मालूम है कि दिल्ली में भ्रष्ट सरकार बैठी है, उससे कोई उम्मीद नहीं बची। नौजवाब का भविष्य उज्जवल बनाना है, किसानों को उनका हक मिले, इसके लिए प्रतापभानु से बढ़िया और कोई नहीं है। हमेशा परिवर्तन जनता के हक में रहता है तो वह इस बार होगा। मेरा जनता से आग्रह है कि मैं, जीता था और जीतें